तू ही मेरी इबादत है,
है तू ही मेरा धरम,
ऐ वतन मेरे हमदम मेरे,
तू ही मेरा करम,
तू ही मेरा करम,
तु ही मेरी इबादत है,
है तू ही मेरा धरम।।
तुझको ही पुजू और ध्याऊँ मैं,
तेरे ही गीतों को गाउँ मैं,
ऐ वतन वतन मेरे,
तू ही है रब खुदा मेरे,
तुझसे अलग न जी सकूँ,
मर जाऊ मैं सनम,
मर जाऊ मैं सनम,
तु ही मेरी इबादत है,
है तू ही मेरा धरम।।
तू मेरी जन्नत है तू मेरी मन्नत है,
तुझसे ही ये मेरा जीवन है,
तुझमे समा जाऊ तुझपे ही मर जाऊ,
कहता ये हर पल मेरा मन है,
जान मेरी हाजिर है,
सेवा में ही तेरे वतन,
मर जाये ये ‘सुभाष’ तेरा,
करते हुए करम,
करते हुए करम,
तु ही मेरी इबादत है,
है तू ही मेरा धरम।।
तू ही मेरी इबादत है,
है तू ही मेरा धरम,
ऐ वतन मेरे हमदम मेरे,
तू ही मेरा करम,
तू ही मेरा करम,
तु ही मेरी इबादत है,
है तू ही मेरा धरम।।
– गायक एवं प्रेषक –
सुभाष जी चौधरी।
Ph. 8382836288
Very nice and inspiring