धोक लगाऊं मैं तो दोन्यू जणा,
म्हारा भैरू जी प्यारा घणा,
चम्पा गुरू जी प्यारा घणा।।
सूरज सामो थारो रे देवरो,
राजगढ़ में धाम है प्यारो,
दर्शन ने आवे घणा जणा,
म्हारा भैरू जी प्यारा घणा,
चम्पा गुरू जी प्यारा घणा।।
बाटी रे बाकला को भोग लगावा,
चरणा माई धोक लगावा,
धोक लगास्या दोन्यू जणा,
म्हारा भैरू जी प्यारा घणा,
चम्पा गुरू जी प्यारा घणा।।
रविवार ने आवे सवारी,
भक्तो की भीड़ लागे है भारी,
जोड़ा सू धोके कई जणा,
म्हारा भैरू जी प्यारा घणा,
चम्पा गुरू जी प्यारा घणा।।
ज्योत जले भैरू थारे अखण्डी,
ज्योत जले भैरू थारे अखण्डी,
दुखीया का दुखडा मेटे घणा,
म्हारा भैरू जी प्यारा घणा,
चम्पा गुरू जी प्यारा घणा।।
म्हारी विनती थे सुण लिज्यो,
पूरण सब काम म्हारो किज्यो,
सैनी भजन यो गावे घणा,
म्हारा भैरू जी प्यारा घणा,
चम्पा गुरू जी प्यारा घणा।।
धोक लगाऊं मैं तो दोन्यू जणा,
म्हारा भैरू जी प्यारा घणा,
चम्पा गुरू जी प्यारा घणा।।
– गायक एवं प्रेषक –
नन्दकिशोर सैनी
9829862491