कठे गयो नखराली,
थारो घर वालो।।
प्रीत गनी प्यारो गणों लागे,
तू सूती वो हरदम जागे,
बागा को सैलानी भंवरो,
फूला में रमवा वालो,
ये कठें गयो नखराली,
थारो घर वालो।।
स्वर्ण महल कनक अटारी,
ज्यारी खिड़किया न्यारी न्यारी,
पांच जना की पहरा दारी,
कीकर टुटीओ तालो,
ये कठें गयो नखराली,
थारो घर वालो।।
दौड सकू तो हाथ नही आवे,
भोली नार क्यों भटका खावे,
सुर वीर वाने पकड़ नी पावे,
यो तो छल कर गयो चनगलो,
ये कठें गयो नखराली,
थारो घर वालो।।
तू सोला सिंगार सजाती,
पिऊ के मोह में मदमाती,
कण कण ओंकार निरंजन,
यो चेतन रमवा वालो ये,
कठें गयो नखराली,
थारो घर वालो।।
कठे गयो नखराली,
थारो घर वालो।।
Singer – Kaluram Ji Bikharniya
प्रेषक – नँद लालजी भाट।