ये दुनिया नहीं जागीर किसी की,
राजा हो या रंक यहाँ पर,
सब है चौकीदार,
कोई आकर चला गया कोई,
जाने को तैयार,
यें दुनिया नहीं जागीर किसी की।।
अपनी-अपनी क़िस्मत लेके,
दुनिया में सब आये,
जितनी सांसें दी राम ने,
उतनी सांसें पाये,
सीधी साधी बात है भैय्या,
समझे ना संसार,
कोई आकर चला गया कोई,
जाने को तैयार,
यें दुनिया नहीं जागीर किसी की।।
क्या-क्या सपने देख रहा है,
रात में सोने वाला,
सुबह हुई तो कोई न जाने,
क्या है होने वाला,
क्या तेरा क्या मेरा,
सब बातें हैं बेकार,
कोई आकर चला गया कोई,
जाने को तैयार,
यें दुनिया नहीं जागीर किसी की।।
जीत की आशा में ये दुनिया,
झूठी बाज़ी खेलें,
ऊपरवाला जब भी चाहें,
हाथ से पत्ते लेले,
दो दिन का मेहमान बना है,
जग ठेकेदार,
कोई आकर चला गया कोई,
जाने को तैयार,
यें दुनिया नहीं जागीर किसी की।।
ये दुनिया नहीं जागीर किसी की,
राजा हो या रंक यहाँ पर,
सब है चौकीदार,
कोई आकर चला गया कोई,
जाने को तैयार,
ये दुनिया नहीं जागीर किसी की।।
गायक – मोहन जी वैष्णव।
प्रेषक – रमेश जी प्रजापत।