श्याम की आशिकी,
का नशा कीजिये,
और गमे जिंदगी,
को सजा लीजिये,
श्याम की आशिकीं,
का नशा कीजिये।।
तर्ज – दोस्तों इस ज़माने को।
मय का सागर भरा,
श्याम के नैन में,
नैन में डूबकर,
दिल डूबा लीजिये,
श्याम की आशिकीं,
का नशा कीजिये।।
श्याम की मय से बढ़कर,
कोई मय नहीं,
पैग पे पैग पीकर,
मजा लीजिये,
श्याम की आशिकीं,
का नशा कीजिये।।
इसमें पानी मिलाना,
मुनासिब नहीं,
वक्त का रस,
जरा सा मिला लीजिये,
श्याम की आशिकीं,
का नशा कीजिये।।
जब ‘अनाड़ी’ पता,
पूछे मैखाने का,
नाम खाटू का ‘गुनगुन’,
बता दीजिये,
श्याम की आशिकीं,
का नशा कीजिये।।
श्याम की आशिकी,
का नशा कीजिये,
और गमे जिंदगी,
को सजा लीजिये,
श्याम की आशिकीं,
का नशा कीजिये।।
Singer – Gungun Mehra