सांवरा है तो मुमकिन हैं,
हर रात दिवाली है मेरी,
होली हर एक दिन है,
ओ साँवरे तू है तो मुमकिन है,
ओ साँवरे तू है तो मुमकिन है।।
जब जब तेरी चौखट पे,
कोई सर आकर झुक जाए,
उस प्रेमी की खातिर बाबा,
वक़्त का पहिया रुक जाए,
मरते हुए प्रेमी को भी,
मिल जाता जीवन है,
ओ साँवरे तू है तो मुमकिन है,
ओ साँवरे तू है तो मुमकिन है।।
तूफानों में नाव चले,
पतझड़ में फूल भी खिल जाए,
बीच भवर में डोल रही,
नैया को किनारा मिल जाए,
तुझ जैसा गर माझी हो तो,
मुझको क्या ग़म है,
ओ साँवरे तू है तो मुमकिन है,
ओ साँवरे तू है तो मुमकिन है।।
चाहे जैसी कठिन घडी,
तेरी किरपा से टल जाए,
तेरी राह पे चलके बाबा,
हर एक मंज़िल मिल जाए,
तेरे होते ‘रोमी’ को ना,
रहती उलझन है,
ओ साँवरे तू है तो मुमकिन है,
ओ साँवरे तू है तो मुमकिन है।।
सांवरा है तो मुमकिन हैं,
हर रात दिवाली है मेरी,
होली हर एक दिन है,
ओ साँवरे तू है तो मुमकिन है,
ओ साँवरे तू है तो मुमकिन है।।
स्वर – रोमी जी।