तेरे पूजन को हनुमान,
बना तब मेहंदीपुर का धाम।।
जग में प्रबल तुम्हारी माया,
नहीं कोई भेद तुम्हारा पाया,
कर नित भक्ति प्रेम से ध्यान,
बना तब मेहंदीपुर का धाम,
तेरे पुजन को हनुमान,
बना तब मेहंदीपुर का धाम।।
तू ही जग का कष्ट नशावे,
तू ही अद्भुत खेल रचावे,
हे तू व्यापक सकल जहान,
बना तब मेहंदीपुर का धाम,
तेरे पुजन को हनुमान,
बना तब मेहंदीपुर का धाम।।
भूतादिक अमित उघारे,
नित अगणित चरित्र तुम्हारे,
उन्हें मैं करूँ कहाँ तक गान,
बना तब मेहंदीपुर का धाम,
तेरे पुजन को हनुमान,
बना तब मेहंदीपुर का धाम।।
सारे जग का दुःख हर लीजे,
तब भक्ति चरणों की दीजे,
कर दया दिन जन जान,
बना तब मेहंदीपुर का धाम,
तेरे पुजन को हनुमान,
बना तब मेहंदीपुर का धाम।।
तुम बिन जग में नाथ हमारा,
दिखत नहीं कोई सहारा,
यह विनय करे कल्याण,
बना तब मेहंदीपुर का धाम,
तेरे पुजन को हनुमान,
बना तब मेहंदीपुर का धाम।।
तेरे पूजन को हनुमान,
बना तब मेहंदीपुर का धाम।।
स्वर – राकेश काला