झुले राधा नन्द किशोर सावन का महीना घटायें घनघोर

झुले राधा नन्द किशोर,

तर्ज – सावन का महीना।

सावन का महीना घटायें घनघोर,
आज कदम्ब की डाली,
झुले राधा नन्द किशोर।।



प्रेम हिंडोले बैठे,

श्याम बिहारी,
झूला झुलाये सारी,
ब्रज की नारी,
जोड़ी लागे प्यारी,
ज्यूँ चंदा और चकोर,
आज कदम्ब की डाली,
झुलें राधा नन्द किशोर।
सावन का महीना घटायें घनघोर,
आज कदम्ब की डाली,
झुलें राधा नन्द किशोर।।



ठंडी फुहार पड़े,

मन को लुभाये,
गीत गावें सखियाँ,
श्याम मुस्कावे,
बांसुरिया बजावे,
मेरे मन का चितचोर,
आज कदम्ब की डाली,
झुलें राधा नन्द किशोर।
सावन का महीना घटायें घनघोर,
आज कदम्ब की डाली,
झुलें राधा नन्द किशोर।।



जमुना के तट पर नाचे,

नाचे रे ता ता थैया,
राधा को झुलाए श्याम,
रास रचैया,
ब्रज में छायी मस्ती,
और मस्त हुए मनमोर,
आज कदम्ब की डाली,
झुलें राधा नन्द किशोर।
सावन का महीना घटायें घनघोर,
आज कदम्ब की डाली,
झुलें राधा नन्द किशोर।।



देख युगल छवि,

मन में समाई,
‘श्यामसुन्दर’ ने महिमा गाई,
देख के प्यारी जोड़ी,
मनवा होय विभोर,
आज कदम्ब की डाली,
झुलें राधा नन्द किशोर।
सावन का महीना घटायें घनघोर,
आज कदम्ब की डाली,
झुलें राधा नन्द किशोर।।



सावन का महीना घटायें घनघोर,

आज कदम्ब की डाली,
झुले राधा नन्द किशोर,
झुले राधा नन्द किशोर।।

स्वर – श्री लखबीर सिंह लख्खा जी।


Previous articleफरियाद सुन ले प्यारे आए है तेरे द्वारे भजन लिरिक्स
Next articleजब से मिला दरबार मुझे सबसे है मिला प्यार भजन लिरिक्स
Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here