ये दो दिन का जीवन तेरा फिर किस पर तू इतराता है लिरिक्स

ये दो दिन का जीवन तेरा,
फिर किस पर तू इतराता है,
ये जीवन है चंद साँसों का,
फिर तू क्यों भुला जाता है,
यें दो दिन का जीवन तेंरा,
फिर किस पर तू इतराता है।।

तर्ज – बाबुल की दुआएं लेती जा।



माटी की तेरी ये काया है,

नश्वर जग की ये छाया है,
धन वैभव और सुन्दर यौवन,
चलती फिरती ये माया है,
तेरा सारा सपना झूठा है,
सत धर्म यही बतलाता है,
यें दो दिन का जीवन तेंरा,
फिर किस पर तू इतराता है।।



पापों की गठरी का बोझा,

तेरे कंधो पर जाना है,
अपनी करनी अपनी भरनी,
फिर क्यों इतना दीवाना है,
अब तो तू संभल कर चल मानुष,
क्यों जीवन व्यर्थ गंवाता है,
यें दो दिन का जीवन तेंरा,
फिर किस पर तू इतराता है।।



तू खाली हाथों आया है,

और हाथ पसारे जाएगा,
अपना जिसको तू मान रहा,
सब यहीं धरा रह जाएगा,
अपनी नासमझी के खातिर,
क्यों जीवन भर दुःख पाता है,
यें दो दिन का जीवन तेंरा,
फिर किस पर तू इतराता है।।



ये दो दिन का जीवन तेरा,

फिर किस पर तू इतराता है,
ये जीवन है चंद साँसों का,
फिर तू क्यों भुला जाता है,
यें दो दिन का जीवन तेंरा,
फिर किस पर तू इतराता है।।

स्वर – शिव निगम।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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