शुकराना साँवरे तेरा,
कैसे अदा करूँ,
क्या क्या नही दिया मुझे,
कैसे बयां करूँ,
शुकराना सांवरे तेरा,
कैसे अदा करूँ।।
हारा हुआ था मैं प्रभु,
तुमने जीता दिया,
दर दर की ठोकरों से श्याम,
तुमने बचा लिया,
उपकार तेरा साँवरे,
मैं कैसे बयां करूँ,
शुकराना सांवरे तेरा,
कैसे अदा करूँ।।
गम की अंधेरी रात में,
ये पूछता था मैं,
कैसे कटेगी ज़िंदगी,
ये सोचता था मैं,
तेरी दया से सांवरे,
अब मौज मैं करूँ,
शुकराना सांवरे तेरा,
कैसे अदा करूँ।।
करुणा की तुम हो मूर्ति,
किरपा की खान हो,
कलयुग के देव साँवरे,
तुम ही महान हो,
लाखों के लखदातार की,
मैं वंदना करूँ,
शुकराना सांवरे तेरा,
कैसे अदा करूँ।।
ग्यारस की शाम साँवरे,
चरणों में तेरे बीते,
जिस दिन भी भूलें नाम तेरा,
मर जाए जीते जीते,
है आरज़ू यही ‘रसिक’,
तेरा भजन करूँ,
शुकराना सांवरे तेरा,
कैसे अदा करूँ।।
शुकराना साँवरे तेरा,
कैसे अदा करूँ,
क्या क्या नही दिया मुझे,
कैसे बयां करूँ,
शुकराना सांवरे तेरा,
कैसे अदा करूँ।।
– गायक एवं प्रेषक –
रिंकू श्रीवास ‘रसिक’
9911936151