जागो माँ भवानी,
जागो कल्याणी।
दोहा – जागो जागो हे भवानी,
भक्तो की पुकार सुनो,
चंड मुंड से हार के,
हम द्वार तेरे आए है,
स्वर्ग का सिंहासन माँ डोल रहा,
तेरे चरणों में हम आस लेके आए है।
जागो माँ भवानी,
जागो कल्याणी,
चंड मुंड को मैया,
मारना तुम्हे है,
हम देव सारे चंड मुंड से हारे,
पापी इन दैत्यों को मारना तुम्हे है।।
तर्ज – ये माना मेरी जा।
इन्द्र का वज्र,
काम ना आया,
वायु का वेग भी,
कुछ ना कर पाया,
भव में है नैया,
देवो की मैया,
भवसागर से माँ,
तारना तुम्हे है,
जागों मां भवानी,
जागो कल्याणी,
चंड मुंड को मैया,
मारना तुम्हे है।।
ब्रम्हा विष्णु शंकर,
शरण में टिहारी,
सारी देव सेना,
दैत्यों से हारी,
सुनलो माँ भवानी,
विनती हमारी,
संकट ये भारी,
टालना तुम्हे है,
जागों मां भवानी,
जागो कल्याणी,
चंड मुंड को मैया,
मारना तुम्हे है।।
सुनकर के विनती,
देवो की सारी,
महाकाली रूप में,
मैया पधारी,
चण्ड मुण्ड मारो,
असुर भी संहारो,
देवो की विनती को,
मानना तुम्हे है,
जागों मां भवानी,
जागो कल्याणी,
चंड मुंड को मैया,
मारना तुम्हे है।।
जागो माँ भवानी,
जागो कल्याणी,
चंड मुंड को मैया,
मारना तुम्हे है,
हम देव सारे चंड मुंड से हारे,
पापी इन दैत्यों को मारना तुम्हे है।।
स्वर – राकेश काला जी।