तूने इतना दिया ऐ मेरे सांवरे,
अब होता है गुजारा बड़े आराम से,
अब होता है गुजारा बड़े आराम से।।
तर्ज – जानकी जानकी मैं ना दूँ।
इतनी जल्दी बदलने लगे दिन मेरे,
मुझको मालूम है काम सब ये तेरे,
तेरा अहसान है ये मेरे सांवरे,
अब होता है गुजारा बड़े आराम से,
अब होता है गुजारा बड़े आराम से।।
पहले दुखड़ो से जीवन परेशान था,
अपनी तक़दीर पर खुद मैं हैरान था,
तूने ऐसी कृपा मुझपे की सांवरे,
अब होता है गुजारा बड़े आराम से,
अब होता है गुजारा बड़े आराम से।।
अब तो जीने का मुझको मजा आ रहा,
जबसे किरपा ‘पवन’ श्याम की पा रहा,
मौज में है मेरी जिंदगी सांवरे,
अब होता है गुजारा बड़े आराम से,
अब होता है गुजारा बड़े आराम से।।
तूने इतना दिया ऐ मेरे सांवरे,
अब होता है गुजारा बड़े आराम से,
अब होता है गुजारा बड़े आराम से।।
स्वर – संजय पारीक जी।