मुझे ये विश्वाश है कन्हैया,
करम तुम्हारा जरूर होगा,
तुम्हारी रहमत की रोशनी से,
तुम्हारी रहमत की रोशनी से,
अँधेरा हर गम का दूर होगा,
मुझें ये विश्वाश हैं कन्हैया,
करम तुम्हारा जरूर होगा।।
तर्ज – तुम्हारी नज़रो में हमने देखा।
तेरी दया में कमी ना कुछ थी,
लुटाई तुमने तो खोलकर दिल,
अगर ये झोली है फिर भी खाली,
अगर ये झोली है फिर भी खाली,
तो मेरा कोई कसूर होगा,
मुझें ये विश्वाश हैं कन्हैया,
करम तुम्हारा जरूर होगा।।
तू बेकसों के दिलों में बसता,
किसी किसी को ही ये खबर है,
धड़क रहा है जो मेरे दिल में,
धड़क रहा है जो मेरे दिल में,
जरूर तेरा ही नूर होगा,
मुझें ये विश्वाश हैं कन्हैया,
करम तुम्हारा जरूर होगा।।
जो दुःख से लड़कर के गिर पड़े थे,
सहारा देकर उठाया तुमने,
तू बेकसों की करे हिफाजत,
तू बेकसों की करे हिफाजत,
क्यों तुम पे ना फिर गुरुर होगा,
मुझें ये विश्वाश हैं कन्हैया,
करम तुम्हारा जरूर होगा।।
‘गजेसिंह’ को जहा कन्हैया,
तुम्हारे मंदिर सा लग रहा है,
तेरी इबादत की घुट पी थी,
तेरी इबादत की घुट पी थी,
उसी का शायद सुरूर होगा,
मुझें ये विश्वाश हैं कन्हैया,
करम तुम्हारा जरूर होगा।।
मुझे ये विश्वाश है कन्हैया,
करम तुम्हारा जरूर होगा,
तुम्हारी रहमत की रोशनी से,
तुम्हारी रहमत की रोशनी से,
अँधेरा हर गम का दूर होगा,
मुझें ये विश्वाश हैं कन्हैया,
करम तुम्हारा जरूर होगा।।
स्वर – रजनी जी राजस्थानी।