अरे वंका रे पहाड़ो में,
बाबा धूणी परी तापे रे,
अरे नोदिये चढे ने मारा,
आम्बेसरजी आवे रे।।
अरे गला मे तो साप विटोरे,
कडिये अजगर बांधे रे,
अरे नोदिये चढे ने मारा,
वोवेश्वर जी आवे रे।।
अरे माथा माई तो गंगा आवे,
डमरू जोर बजावे रे,
अरे नोदिये चढे ने मारा,
आपेश्वरजी आवे रे।।
अरे कोनो माई विशू पेरे,
हाथे त्रिशूल सोवे रे,
अरे नोदिये चढे ने मारा,
सारणेश्वरजी आवे रे।।
अरे हाथिया जोडे ने,
बाबा सुरेश दास गावै रे,
बाबा हरि ओम मंगल बोले,
अरे नोदिये चढे ने मारो,
भूरियो बाबो आवे रे।।
अरे वंका रे पहाड़ो में,
बाबा धूणी परी तापे रे,
अरे नोदिये चढे ने मारा,
आम्बेसरजी आवे रे।।
प्रेषक – श्रवण कुमार प्रजापत
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