चाकर हूँ चरणा रो पिरजी,
एड़ी भूल कई राको ई,
रात दिन आ दिन ही रात को,
अरे बेडी बन्दी धनियारा अन्नदाता,
आ चरना कर थरोई।।
सरस्वती मात शारदा सिवरू,
हिरेदे उजालो लोई थाकोई,
रिद्धि सिद्धि रा भंडार खोलदो,
अरे कमि काई जी राको अंदाता,
आ चरना कर थरोई।।
सोहनी दुवारका ये देव पधारिया,
भालो करियो नवरकोई,
ये अजमल जी री आशा पुरदी,
अरे बाल जीवायो सुगना को,
आ चरना कर थरोई।।
ये बड़ा बिरम दे चोटा रामदे,
जोड़ो बन्यो भाई रकोइ ई,
ये माता मेनादे करे आरती,
माता मेनादे अरे कलश बंधायो,
धनयरो अंधता आ चरना कर थकोई।।
सती द्रोपती रो ये चिरी बंदयो,
आंबे लगायो भंद्वकोई,
नेनी बई रो बरयो महायरो,
अर्जुन रथडा हाँको अंदाता,
आ चरनो कर थकोई।।
ये गजरी पुकारी ये सुनी दरबा में,
नेवरे हजारी धकोई,
ये रिद्धि ओ बेटो भजन माए बोले,
अरे अवा जीवन कई राको अंधता,
आ चरनो कर थकोई।।
चाकर हूँ चरणा रो पिरजी,
एड़ी भूल कई राको ई,
रात दिन आ दिन ही रात को,
अरे बेडी बन्दी धनियारा अन्नदाता,
आ चरना कर थरोई।।
गायक – महेंद्र जी बोयल।
प्रेषक – NARESH KUMAWAT
9008061648