लड्डू गोपाल लाई,
वृन्दावन धाम से।
रिश्ता मैं जोड़ आई,
राधे और श्याम से,
लड्डू गोपाल लाई,
वृन्दावन धाम से,
लड्डू गोंपाल लाई,
वृन्दावन धाम से।।
तर्ज – ये गोटेदार लहंगा।
इस दुनिया से मैंने यूँ ही,
झूठी प्रीत लगाई,
मिला ना मुझको भाई,
लड्डू लाल को बना लिया है,
मैंने अपना भाई,
मैंने अपना भाई,
मैं भी चलूंगी उसकी,
ऊँगली को थाम को,
लड्डू गोंपाल लाई,
वृन्दावन धाम से।।
बांके बिहारी की थी ऐसी,
झांकी अजब निराली,
झांकी अजब निराली,
मोटी मोटी आँखे उनकी,
बिन काजल के काली,
बिन काजल के काली,
अमृत की बुँदे छलके,
अंखियों के जाम से,
लड्डू गोंपाल लाई,
वृन्दावन धाम से।।
सजधज कर जब श्याम सलोना,
मुरली मधुर बजाए,
मुरली मधुर बजाए,
चाँद सितारे तुझे निहारे,
‘पाल’ तेरे गुण गाए,
‘पाल’ तेरे गुण गाए,
चलती है अपनी नैया,
इनके ही नाम से,
लड्डू गोंपाल लाई,
वृन्दावन धाम से।।
रिश्ता मैं जोड़ आई,
राधे और श्याम से,
लड्डू गोंपाल लाई,
वृन्दावन धाम से,
लड्डू गोंपाल लाई,
वृन्दावन धाम से।।
स्वर – विशाल मित्तल।