सपने में आ एक बार साँवरे,
फिर कुटिया में आ,
लगातार साँवरे,
सपने में आ एक बार सांवरे।।
सपने में सूरत पहचान जाऊ,
आये वो घर पे मैं जान जाऊ,
वर्ना तुमको होगा विचार साँवरे,
वर्ना तुमको होगा विचार साँवरे,
सपने में आ एक बार सांवरे।।
मैं भी ना भूलूँ तू भी ना भूले,
हो ऐसा दोनों के दिल को जो छू ले,
दरवाजे पे पहला सत्कार साँवरे,
दरवाजे पे पहला सत्कार साँवरे,
सपने में आ एक बार सांवरे।।
कुटिया में कभी कभी मेहमान आते,
या भूले भटके अंजान आते,
है तुमसे अलग व्यवहार साँवरे,
है तुमसे अलग व्यवहार साँवरे,
सपने में आ एक बार सांवरे।।
‘बनवारी’ कुटिया में लगातार आए,
प्यार वो मिलेगा जैसे पहली बार आए,
लगने लगेगा परिवार साँवरे,
लगने लगेगा परिवार साँवरे,
सपने में आ एक बार सांवरे।।
सपने में आ एक बार साँवरे,
फिर कुटिया में आ,
लगातार साँवरे,
सपने में आ एक बार सांवरे।।
स्वर – जयशंकर जी चौधरी।
प्रेषक – नितिन गर्ग।