खाटू वाला श्याम बाबा,
थाने लीले चढ़ आणो है,
भगता रे कीर्तन में,
आके धुम मचाणो है।।
तर्ज – बाबुल का ये घर बहना।
बेगा-बेगा आओ जी,
थाने आसन बिठावा जी,
थारी मनवार करां,
थारा लाड लडावा जी,
भगतां के संग थाने,
कीर्तन में नचाणो है,
खाटु वाला श्याम बाबा,
थाने लीले चढ़ आणो है,
भगता रे कीर्तन में,
आके धुम मचाणो है।।
कांई थाँरो म्हारों रिश्तो है,
दुनिया न बतास्युं मैं,
म्हारां कुटुंब कबीला ने,
थारें से मिलास्युं मैं,
बाबो म्हारे हिवड़े बसे,
सगला न बताणो है,
खाटु वाला श्याम बाबा,
थाने लीले चढ़ आणो है,
भगता रे कीर्तन में,
आके धुम मचाणो है।।
फुलां स्युं आज थारो,
दरबार सजाया हां,
दोनु हाथ जोड़ प्रेम स्युं,
बाबा थाने बुलाया हां,
“केशव” न हिवड़े स्युं,
आज थाने लगाणो है,
खाटु वाला श्याम बाबा,
थाने लीले चढ़ आणो है,
भगता रे कीर्तन में,
आके धुम मचाणो है।।
खाटू वाला श्याम बाबा,
थाने लीले चढ़ आणो है,
भगता रे कीर्तन में,
आके धुम मचाणो है।।
भजन लेखक – मनीष शर्मा “मोनु”
जोरहाट (आसाम)
9854429898