भोले बाबा की शादी का,
है त्योहार जी।
तर्ज – ओ फिरकी वाली।
दोहा – भूतो और प्रेतों का मेला,
है कैलाश पे लागा,
दूल्हा बनने आज चले है,
मेरे भोले बाबा।
नंदी बैल पे आ बैठे है,
पी के भांग का प्याला,
पार्वती के द्वार चले है,
रूप बना मतवाला।
आओ आओ सर्पो की माला लाओ,
कोई तन पे भस्म रमाओ,
करो भोलो को तैयार जी,
भोले बाबा की शादी का,
है त्योहार जी।।
सर्पो का सेहरा और,
बिच्छू के कुंडल,
नाग गले के हार बने,
भांग धतूरे का,
पी कर के प्याला,
नंदी बैल पे आ बैठे,
तन पे ओढ़ी है मृगछाला,
अद्भुत रूप निराला,
नंदी भृंगी झमा झम नाचे,
नगाड़े है बाजे,
बाराती है तैयार जी,
भोलें बाबा की शादी का,
है त्योहार जी।।
शूकर शनीचर,
संग भूतो का रेला,
ब्याह में देखो जाएँगे,
पर्वत राज के द्वारे में जाकर,
सब उत्पात मचाएँगे,
बिन हाथो के बिन पैरो के,
कैसे है बाराती,
बिना सर के कोई बिना धड़ के,
सब चलते अकड़ के,
सब नाचन को तैयार जी,
भोलें बाबा की शादी का,
है त्योहार जी।।
पार्वती के द्वारे पे पहुंचे,
मैना रानी घबराई,
मारे डर के बेसूध हुई वो,
सखिया सारी चिल्लाई,
पार्वती के पास में जाके,
सगरी बात बताई,
है ये सारी मेरे शिव की माया,
भोले ने खेल रचाया,
लीला है लीलाधार की,
भोलें बाबा की शादी का,
है त्योहार जी।।
आओ आओ सर्पो की माला लाओ,
कोई तन पे भस्म रमाओ,
करो भोलो को तैयार जी,
भोले बाबा की शादी का,
है त्योहार जी।।
गायक – राकेश काला।