श्याम तेरा खाटू भी,
एक तीरथ समाना है,
क्योंकि तेरे दर पे तो,
सारा झुकता जमाना है,
श्याम तेरा खाटु भी,
एक तीरथ समाना है।।
तर्ज – बाबुल का ये घर।
श्याम कुंड है ऐसा,
जो कलिमल हरता है,
जो भी इसमें नहाता है,
काया निर्मल वो करता है,
लाखों लाखों भक्तो ने,
लाखों लाखों भक्तो ने,
इसे अमृत सा माना है,
श्याम तेरा खाटु भी,
एक तीरथ समाना है।।
सच्चा दरबार यहाँ,
मेरा बाबा चलाता है,
ग्यारस की ग्यारस को,
भक्तों को बुलाता है,
जो भी मांगो मिलता है,
जो भी मांगो मिलता है,
भक्तो क्या बताना है,
श्याम तेरा खाटु भी,
एक तीरथ समाना है।।
जो भी यहाँ आता,
एक तीरथ का फल पाता,
बाबा से उसका भी,
एक रिश्ता जुड़ जाता,
श्याम तेरी महिमा को,
श्याम तेरी महिमा को,
‘रामा’ ने बखाना है,
श्याम तेरा खाटु भी,
एक तीरथ समाना है।।
श्याम तेरा खाटू भी,
एक तीरथ समाना है,
क्योंकि तेरे दर पे तो,
सारा झुकता जमाना है,
श्याम तेरा खाटु भी,
एक तीरथ समाना है।।
स्वर – अरविन्द सहल।