दो दिन में कुंण सा,
तेरा खाटू भागे से,
लीले चढ़कर आजा,
कुंण सा भाड़ा लागे से,
दो दिन में कुण सा,
तेरा खाटू भागे से।।
तने तो घर पर आणा से,
कुंण सा मुहूरत कढ़वाना से,
सिंहासन कुंण ले जा तेरा,
पाछा दरबार लगाणा से,
व्यापर करे कुंण सा,
जो घाटा लागे से,
अरे लीले चढ़कर आजा,
कुंण सा भाड़ा लागे से,
दो दिन में कुण सा,
तेरा खाटू भागे से।।
बता तू के लागे मेरा,
तेरे से के रिश्तेदारी,
तेरे से प्यार कर बैठ्या,
खुशामद कर रह्या हूँ थारी,
वरना ते कुंण सी,
मेरा माँगत मांगे से,
अरे लीले चढ़कर आजा,
कुंण सा भाड़ा लागे से,
दो दिन में कुण सा,
तेरा खाटू भागे से।।
सवारी कुंण सी ल्याणी से,
तने उधार में बाबा,
तेरा यो लील्या घोडा जी,
खड़्या बेकार में बाबा,
गर काम नहीं आवे,
इने क्या काई राखे से,
अरे लीले चढ़कर आजा,
कुंण सा भाड़ा लागे से,
दो दिन में कुण सा,
तेरा खाटू भागे से।।
दो दिन में कुंण सा,
तेरा खाटू भागे से,
लीले चढ़कर आजा,
कुंण सा भाड़ा लागे से,
दो दिन में कुण सा,
तेरा खाटू भागे से।।
स्वर – श्री जयशंकर जी चौधरी।