मुझसे अधम अधीन,
उबारे न जाएँगे,
प्रभु आप दीनबंधु,
पुकारे ना जाएँगे,
मुझसें अधम अधीन,
उबारे न जाएँगे।।
खामोश हूँगा मैं भी,
अगर आप ये कह दो,
अब मुझसे कभी,
पातकी तारे न जाएँगे,
प्रभु आप दीनबंधु,
पुकारे न जाएँगे,
मुझसें अधम अधीन,
उबारे न जाएँगे।।
जो बिक चुके हैं और,
खरीदा है आपने,
अब वह गुलाम ग़ैर के,
द्वारे न जाएँगे,
प्रभु आप दीनबंधु,
पुकारे ना जाएँगे,
मुझसें अधम अधीन,
उबारे न जाएँगे।।
पृथ्वी के भार आपने,
सौ बार उतारे,
क्या मेरे पाप भार,
उतारे न जाएँगे,
प्रभु आप दीनबंधु,
पुकारे ना जाएँगे,
मुझसें अधम अधीन,
उबारे न जाएँगे।।
तब तक न चरण आपके,
संतोष पाएँगे,
द्रिग ‘बिन्दु’ में जब तक ये,
पखारे न जाएँगे,
प्रभु आप दीनबंधु,
पुकारे ना जाएँगे,
मुझसें अधम अधीन,
उबारे न जाएँगे।।
मुझसे अधम अधीन,
उबारे न जाएँगे,
प्रभु आप दीनबंधु,
पुकारे ना जाएँगे,
मुझसें अधम अधीन,
उबारे न जाएँगे।।
स्वर – प. पवन जी तिवारी।
प्रेषक – शिवकुमार शर्मा
9926347650