रावण की आँखों के सामने,
फूंक दी लंका सारी।
अंजनी के लाल ने दिखाया है कमाल,
अंजनी के लाल ने दिखाया है कमाल,
प्रभु राम जाए बलिहारी,
रावण की आंखो के सामने,
फूंक दी लंका सारी,
गया पाताल पूछो उसका ना हाल,
गया पाताल पूछो उसका ना हाल,
जिसने गदा घुमा के मारी,
रावण की आंखो के सामने,
फूंक दी लंका सारी।।
जब रावण की मति भरमाई,
वो हर लाया सिता माई,
हनुमंत गए समझाने को,
पर बात समझ में ना आई,
एक अकेला वानर पड़ गया,
एक अकेला वानर पड़ गया,
दानव दल पर भारी,
रावण की आंखो के सामने,
फूंक दी लंका सारी।।
लंकेश की मैं को ख़ाक किया,
लंका को जलाकर राख किया,
जिस जिस ने जलाई पूछ इनकी,
उस पापी को ना माफ़ किया,
बनके दूत ना जाते तो थी,
बनके दूत ना जाते तो थी,
रावण की भी बारी,
रावण की आंखो के सामने,
फूंक दी लंका सारी।।
हनुमंत की शक्ति ‘चरणजीत’,
लंका की हिल गई ईंट ईंट,
बैरी के बैरी बजरंगी,
मीतों के सदा है मीत मीत,
जहाँ थी सिता मैया छोड़ी,
जहाँ थी सिता मैया छोड़ी,
एक वही फुलवारी,
रावण की आंखो के सामने,
फूंक दी लंका सारी।।
अंजनी के लाल ने दिखाया है कमाल,
अंजनी के लाल ने दिखाया है कमाल,
प्रभु राम जाए बलिहारी,
रावण की आंखो के सामने,
फूंक दी लंका सारी,
गया पाताल पूछो उसका ना हाल,
गया पाताल पूछो उसका ना हाल,
जिसने गदा घुमा के मारी,
रावण की आँखों के सामने,
फूंक दी लंका सारी।।
स्वर – चरणजीत सिंह।