दरबार तो एक ही है,
सांवल सरकार का है,
खाटू के नरेश का है,
नीले पे सवार का है,
दरबार तों एक ही है,
सांवल सरकार का है।।
तर्ज – होंठों से छु लो तुम।
क्यों भटके हजार जगह,
मन एक पे अटका ले,
इंकार नही करता,
कल पे भी नही टाले,
अभी मांग अभी ले जा,
दिल ये दिलदार का है,
दरबार तों एक ही है,
सांवल सरकार का है।।
खाटू का श्याम धणी,
जब कृपा अपार करे,
जो आया वो राजी गया,
पतझड़ में बहार करे,
यहाँ जीत मिले सबको,
मतलब नही हार का है,
दरबार तों एक ही है,
सांवल सरकार का है।।
मन में विश्वास लिए,
आ श्याम शरण आ जा,
दुनिया की परवाह कर,
तू हो के मगन आ जा,
यहाँ वहाँ ईधर क्या उधर,
रुकना बेकार का है,
दरबार तों एक ही है,
सांवल सरकार का है।।
तू खोल जुबां प्यारे,
बाबा को पुकार तो ले,
आएँगे जिस पथ से,
पलको से बुहार तो ले,
इतना सरल समझो,
सौदा एतबार का है,
दरबार तों एक ही है,
सांवल सरकार का है।।
दरबार तो एक ही है,
सांवल सरकार का है,
खाटू के नरेश का है,
नीले पे सवार का है,
दरबार तों एक ही है,
सांवल सरकार का है।।
स्वर – तुलसी जी गोयल।
Jai shree Shyam