देवा में महादेव कहाओ,
कालन में महा काल हरे,
मेही पुलों मेंही जाल है मारे,
हो मारा घर को न्यावटो कुणी करे रे।।
लक्ष्मी पति गरुड चढ़ आवे,
दरशण इच्छा पूरी करे,
वो गरुड देख कर नाग ये मारा,
बील मही ये गुस्या फीरे रे हो।।
अरे गणो रे लाडलो बेटो गजान्द,
या दुनिया पुजा प्रथम करे,
लम्बी पुछ को लावे उन्दरो,
मारी जटा कतर नुकसाण करे रे हो।।
कार्तिक कैलाश मे आवे,
मोर की सवारी करे,
छत्तर कर कर नाचे मोरीयो,
मोर देख मारा नाग डरे रे हो।।
मारे सवारी है नान्द्या की,
वो हरीयो हरीयो घास चरे,
घर लुगाई बेटे नार पे,
नार देख नर भागो फिरें हो।।
ग्यारा मुन्डा दोई बाप बेटा के,
बार वो हाथी पेट भरे,
घर को धणी धुणी पर बैठे,
काम कोडी नाय करे रे हो।।
अशल कारीगर नाम है मारो,
छीजण सु मारे धाक पडे वो,
बाप को पाणी कोई नहीं पीवे,
बेन मारी घर घर में फिरें रे हो।।
मरया पसु को लावे चामडो,
जिसे मारो सिणगार करे,
बचु पकड कर मने धदुणे,
मु नई बोलूं तो मारे पडे रे हो।।
अरे दुख सुख तो आवे और जावे,
धुप छाया का खेल करे,
हरी करे सो खरी ऊकारा,
गुरू चेतन बेडा पार करे रे हो।।
देवा में महादेव कहाओ,
कालन में महा काल हरे,
मेही पुलों मेंही जाल है मारे,
हो मारा घर को न्यावटो कुणी करे रे।।
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