ओ पापी मन करले भजन,
मौका मिला है तो करले जतन।।
तर्ज – जिसका मुझे था इंतजार।
ओ पापी मन करले भजन,
मौका मिला है तो करले जतन,
बाद में प्यारे पछताएगा जब,
पिंजरे से पंछी निकल जाएगा।।
चार दिनों का है जग का मेला,
कोई ना साथी संगी अकेला।
जैसा तू आया जग में वैसा ही तू जाएगा,
मुठ्ठी बाँध के आया जग में,
हाथ पसारे जाएगा,
हो बाद में प्यारे पछताएगा जब,
पिंजरे से पंछी निकल जाएगा।।
भाई बंधू कुटुंब कबीला,
ये तो जग का झूठा झमेला,
मरने के बाद तुझे आग में जलाएंगे,
तेरह दिनों का तेरा मातम मनाएंगे,
बाद में प्यारे पछताएगा जब,
पिंजरे से पंछी निकल जाएगा।।
राम नाम का सुमिरण करले,
राम जी का नाम प्यारे घट में धर ले,
राम जी का नाम प्यारे काम तेरे आएगा,
जीवन मरण से तू मुक्ति पा जायेगा,
बाद में प्यारे पछताएगा जब,
पिंजरे से पंछी निकल जाएगा।।
ओ पापी मन कर ले भजन,
मौका मिला है तो करले जतन,
बाद में प्यारे पछताएगा जब,
पिंजरे से पंछी निकल जाएगा।।
अच्छा
Verry nice bhajan