अमर लोक कुण जासी गुरासा भजन लिरिक्स

अमर लोक कुण जासी गुरासा,
अमर लोक कुण जासी,
पांच तत्व री वणी कोटडी़,
आ तो विखर जासी गुरूसा,
अमर लोक कुण जासी।।



कुण है ठाकर कुण है साकर,

कुण है आगे दासी,
किया पुरूष री फरे दुआई,
कुण नघरीया रो वासी,
गुरूसा अमर लोक कुण जासी।।



मन है ठाकर तन है साकर,

दस ईन्द्रिया दासी,
अविनाशी री फरे दुआई,
हंस नगरीया रो वासी,
गुरूसा अमर लोक कुण जासी।।



कुण है गुरू कुण है सेलो,

कुण पुरूष अविनाशी,
को हंसा तुम किसको कहत हो,
वात वताऊ हासी,
गुरूसा अमर लोक कुण जासी।।



शब्द गुरू सुरत सेलो,

अमर पुरूष अविनासी,
हंसा उल्ट भाई सोहन होत है,
पार ब्रह्म परकाशी,
गुरूसा अमर लोक कुण जासी।।



गुरू जोरावर पुरा मिलिया,

वात वताई मने हासी,
हेमनाथ सतगुरू जी रे शरणे,
सत् अमरापुर जासी,
गुरूसा अमर लोक कुण जासी।।



अमर लोक कुण जासी गुरासा,

अमर लोक कुण जासी,
पांच तत्व री वणी कोटडी़,
आ तो विखर जासी गुरूसा,
अमर लोक कुण जासी।।

गायक – जोगभारती जी।
– Upload By –
Ganpat puri and Bharat giri
7073119864


Previous articleरमता रमता आवो देवी माँ जागण दीराऊ थारे नाम रो
Next articleहमसे ना भुला जाए तेरा श्याम मुस्कुराना भजन लिरिक्स
Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here