सच्चे मन से पूर्वजो पे,
श्रद्धा दिखाइये,
अपने पित्रों का पावन,
वरदान पाइये,
पित्र खुश होंगे तो,
दुखड़े मिट जाएंगे,
बिन मांगे ही जग में,
सम्मान पाइये।।
कहते है पूर्वजो की,
कृपा जब मिले,
सोई तक़दीर के,
दरवाजे खुले,
चरणों में उनके,
भक्ति से सर झुकाइये,
बिन मांगे ही जग में,
सम्मान पाइये।।
पितृ देवो भवः,पितृ देवो भवः।
पितृ देवो भवः,पितृ देवो भवः।
अपने पितरो को जो,
याद करते यहाँ,
पूर्वजो की दया से,
फलते फूलते यहाँ,
पितृ देवता है उनका,
गुणगान गाइये,
बिन मांगे ही जग में,
सम्मान पाइये।।
पितृ जिसके दुखी,
हो भटके यहाँ,
उनके परिवार दुःख में,
ही रहते यहाँ,
हाथ जोड़ पितृपक्ष में,
क्षमा मांगिये,
बिन मांगे ही जग में,
सम्मान पाइये।।
सच्चे मन से पूर्वजो पे,
श्रद्धा दिखाइये,
अपने पित्रों का पावन,
वरदान पाइये,
पित्र खुश होंगे तो,
दुखड़े मिट जाएंगे,
बिन मांगे ही जग में,
सम्मान पाइये।।
स्वर – प्रेम प्रकाश जी दुबे।