माटी केडो मटको घड़ियों रे कुम्भार भजन लिरिक्स

माटी केडो मटको घड़ियों रे कुम्भार,

दोहा- जेसे चुड़ी काच थी,
वेसी नर की देह,
जतन करीमा सु जावसी,
हर भज लावो ले।

माटी केडो मटको घड़ियों रे कुम्भार,
घड़ियों रे कुम्भार,
काया तो थारी काची रे घडी,
भुलो मती गेला रे गेवार,
गेला रे गेवार,
काया तो थारी अजब घड़ी।।



नौ नौ महीना रियो रे,

गर्भ रे माय,
उधे माथे झुले ये रयो,
कोल वचन थु किया हरि सु आप,
बाहर आकर भुल रे गयो,
माटी केड़ो मटको घड़ियों रे कुम्हार,
काया तो थारी काची रे घडी।।



नख-शिख रा तो करिया,

रे बणाव,
सुरत साहेबे चोखी रे घड़ी,
अनो-धनो रा भरीया रे भण्डार,
उम्र साहेबे ओछी रे लिखी,
माटी केड़ो मटको घड़ियों रे कुम्हार,
काया तो थारी काची रे घडी।।



बांधी म्हारे साहेबे,

दया धरम री पाल,
जिण में लागी इन्दर झड़ी,
अरट बेवे बारहों ही मास,
इन्दर वाली एक ही झणी,
माटी केड़ो मटको घड़ियों रे कुम्हार,
काया तो थारी काची रे घडी।।



हरी रा बन्दा सायेब ने चितार,

आयो अवसर भुलो रे मती,
बोल्या खाती बगसो जी घर नार,
संगत सांची साधा री भली,
माटी केड़ो मटको घड़ियों रे कुम्हार,
काया तो थारी काची रे घडी।।



माटी केडो मटको घड़ियों रे कुम्भार,

घड़ियों रे कुम्भार,
काया तो थारी काची रे घडी,
भुलो मती गेला रे गेवार,
गेला रे गेवार,
काया तो थारी अजब घड़ी।।

Singer – Prakash Ji Mali,
Sent By – Bhavesh jangid
8769242034


Previous articleमूल महल में बसे गजानन नित उठ दर्शन पाता
Next articleश्री रामायण विसर्जन वंदना लिखित में
Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

2 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here