धर धारू रे पाँव धराणा रे हां,
रनुजे रा राजवि आवो धारू रे अरदास,
जमो जगावा थारे नाम रो,
थी पुरो भक्ता री आस।
धर धारू रे पाँव धराणा रे हां,
जाए पाप ने धर्म थपोना,
गुरु उगमजी पाट विराजिया,
दर्शन हरीरा करना,
रावलजी ने केवे राज पद्मनी रे हां,
रावलजी ने केवे राज पदमनी,
मेर किया कर मानो,
मानोतर केवे मानो,
थी समजे समजे हालो,
थी डोर धर्म री ढालों,
थी जद अमरापुर मालो गुरूजी रे।।
निवन प्रणाम गुरूजी ने कीजे रे हां
हरी मिलावे तो मिलना आड़ा अबका घाट घडिजे
किन वित पार उतरना थारू ने केवे बाई रूपादे रे हां
आवो धर्म रा वीर हमारा रे हां
बाई रूपा रो धर्म निभाना
घडी एक पोडो पलंग हमारा जमला माय,
जाना वाचक ने केवे बाई रूपादे रे हां
केणो बाई रो करना
भाई रो धर्म निभाना
थी उत्तर मालजी में देना
थी धर्म रा वीर हमारा
जमला में म्हारे जाना गुरूजी रे।।
केवे तातो बैन हमारी रे हां
नेचो मन में धरना
सत्संग में थी जायेंने आवो
घनी देर नही करना रूपा,
दे ने केवे भाई धर्म रो रे हां
रुमझुम रुमझुम झांझर वाजिया रे हां
चौकीदार सेतोना
आलश मरोड़े उठे आंधलो
जटके सिर धरोना परदारन केवे राजपद्मि रे हां
परदारन केवे राज पद्मनी जमले जानू माने
दाऊ सिर सियारो थाने आ पग पायल बाजनी थाने
आ सात मोजड़ी थाने आ बात,
राखजो सानी गुरूजी रे।।
सारो गहनों दियो रूपादे रे हां
मन में आंधला राजी
रावल राखे तो घणो रेवुला नही तो घर रा वाशी
रूपादे ने केवे राज रुखलो रे हां
इतरो सुनेनी रूपा हालिया रे हां
घर धारू रे आया
निवन प्रणाम गुरूजी ने कीजो
संतो ने सीस निवाया उगमजी केवे सुंनो संतो रे हां
उगमजी केवे सुंनो संतो सगला हिलमिल आवो
थी पाठ अलख रो पुरावो पिरारा पगला मंडावो
जमला री ज्योत जगावो
थी जमला री रात जगावो गुरूजी रे।।
ढोलक मंजीरा वीणा वाजिया रे हां
कोने भजन सुनोना
चेतन हो चंद्रावल जागी
ध्यान धरिया चेलोना
चंद्रावल केवे रावलजी ने रे हां
रावल माल चंद्रावल रांनी रे हां
रावलमाल चंद्रावल रांनी रूपा रे महल हलोना
कर दीपक में महल संजोयो
माय वाचक भपकोना रावलजी खेसे पालक पसेडो
रावलजी खेसे पालक पसेडो शेषनाग सेडोना
रूपादे नही देखोना
रावजी रिस करोना
चंद्रावल मन हसोना
रूपा रा देवे सेलोना गुरूजी रे।।
रावलमालजी घोडे चढ़िया रे हां
रावलमालजी घोड़े चढ़िया मन में रिष करोना
साथे तो सालरिया ने लीणो घर धारू रे,
जाना सालरिया ने पूछे रावलमालजी रे हां
केवे सालरियो सुनो मालजी थितो उबा रहिजो
मैं तो जाऊ रखियो रे द्वारे थोड़ी जेज थी कीजो
सालरियो जावे घर धारू रे
सालरियो जावे घर धारू रे जाए बारने होरे
रूपा री मोजड़ी जोवे ओ सोने मोजड़ी,
लेवे जाए रावल ने देवे जमला री वाता केवे गुरूजी रे।।
ज्योत दीवा री धीमी पड़ी रे हां
ज्योत दीवा री धीमी पड़ी उगमजी अजरज कीनो
नुगरो मानस आयो जमले
ज्योत बूजवा लागी
उगमजी केवे सूना रिखधारु रे हां
बाहऱे आयने देखे धारू रे हां
बाहर आयने देखे धारू रूपा री मोजड़ी कोणी
वीणा तंदुरा लीना हाथ में रे हां
वीणा तंदुरा लीना हाथ में अलख अराधे किणी,
उगमजी जोड़े हाथ अलख ने रे हां
उगमजी जोड़े हाथ पीरो ने मैहर बाबा री होवे
रूपा री मोजड़ी आई रूपा री लाज बचाई
रूपादे मन हर्षाई गुरु देव री कृपा पाई
गुरूजी रे।।
सतरि संगत सु चालिया रूपादे रे हां
सतरि संगत सु चालिया रूपादे जावे महला सामी
सामी मिलिया रावलमालजी रानी कटासु,
आया रावलजी पूछे राजपद्मानी ने हां
मैं तो गई थी बाग़ बगीचे रे हां
मैं तो गई थी बाग़ बगीचे फुलड़ा लेवन सारू
लाइ आपरे फूल गुलाबी
लाइ आपरे फूल गुलाबी म्हारे हाथ रो गजरों,
रावलजी ने केवे राजपद्मानी रे हां
रावलजी केवे सुंनो रूपादे थितो झूठ मत बोलो,
थितो साची बाता बोलो थी राज हिया रा,
खोलो म्हारा सु मुखड़े बोलो
दिलड़ा रो भेद खोलो
गुरूजी रे।।
केवे रावलजी सुंनो रूपादे रे हां
केवे रावलजी सुनो रूपादे साची बात बतावो
नेडा नही है बाग़ बगीचा फूल कटासु,
लावो रावलजी केवे राजपद्मानी ने रे हां
पहली वाड़ी कहिजे मेड़ते रे हां
पहली वाड़ी कहिजे मेड़ते दूजी जेसाने माहि
तीजी वाड़ी शिव वाड़ी है
चौथी अमरकोट जानू रावलजी ने केवे सुनो रूपादे रे हां
रावलजी केवे सुंनो रूपादे अब थी साचा बोलो
थी अतरो झूठ मत बोलो
थी राज हिया रा खोलो
म्हारा सु मुखड़े बोलो
थी फुलड़ा रो भेद खोलो
गुरूजी रे।।
करे गुरु ने याद रूपादे रे हां
करे गुरु ने याद रूपादे अब म्हारी लाज बचावो
थालिसु ओसार हटाओ
थाली में बाग़ लगायो रूपा,
पे गुरूजी री मेहर भई रे हां
केवे रावलजी सुनो रूपादे रे हां
केवे रावलजी सुनो रूपादे बाग़ कथासु आयो
ऐडा कुन है गुरु तुम्हारा
थाली माय बाग़ लगायो,
रावलजी पूछे पंथ रूपा रो रे हां
रावलजी ने रूपा पन्थ वतावे
गुरु शरण में हालो
थे डोर धर्म री जालो
भक्ति रो मार्ग जानो
गुरु वचना में हालो
थी जद अमरापुर मानो
गुरूजी रे।।
गायक – किशोर पालीवाल जी।
भजन प्रेषक – श्रवण सिंह राजपुरोहित।
सम्पर्क – +91 90965 58244