आ दरश दिखा दे गुरुदेव,
तुझे तेरे लाल बुलाते है,
तुझे रो रो पुकारे मेरे नैन,
तुझे रो रो पुकारे मेरे नैन,
तुझे तेरे लाल बुलाते है,
आ दर्श दिखा दे गुरुदेव,
तुझे तेरे लाल बुलाते है।।
तर्ज – आ लौट के आजा मेरे मीत।
देखे – मेरी लगी गुरु संग प्रीत।
आँखों के आंसू सूख चुके है,
अब तो दरश दिखा दे,
कब से खड़े है दर पर तेरे,
मन की तू प्यास बुझा दे,
तेरी लीला निराली गुरुदेव,
तेरी लीला निराली गुरुदेव,
तुझे तेरे लाल बुलाते है।
तुझे रो रो पुकारे मेरे नैन,
तुझे तेरे लाल बुलाते है,
आ दर्श दिखा दे गुरुदेव,
तुझे तेरे लाल बुलाते है।।
बीच भंवर में नईया पड़ी है,
आकर तू पार लगा दे,
तेरे सिवा मेरा कोई नहीं है,
आकर गले से लगा ले,
क्यूँ देर लगाते गुरुदेव,
क्यूँ देर लगाते गुरुदेव,
तुझे तेरे लाल बुलाते है।
तुझे रो रो पुकारे मेरे नैन,
तुझे तेरे लाल बुलाते है,
आ दर्श दिखा दे गुरुदेव,
तुझे तेरे लाल बुलाते है।।
डूब रहा है सुख का ये सूरज,
गम की बदरिया है छाई,
उजड़ गयी बगिया जीवन की,
मन की कलि मुरझाई,
करे विनती ये बालक आज,
करे विनती ये बालक आज,
तुझे तेरे लाल बुलाते है।
तुझे रो रो पुकारे मेरे नैन,
तुझे तेरे लाल बुलाते है,
आ दर्श दिखा दे गुरुदेव,
तुझे तेरे लाल बुलाते है।।
वैसे तो तुम हो मन में हमारे,
आँखे नहीं मानती है,
इक पल गुरु से ये अब बिछुड़ कर,
रहना नहीं चाहती है,
बरबस बरसाए नीर,
बरबस बरसाए नीर,
तुझे तेरे लाल बुलाते है।
तुझे रो रो पुकारे मेरे नैन,
तुझे तेरे लाल बुलाते है,
आ दर्श दिखा दे गुरुदेव,
तुझे तेरे लाल बुलाते है।।
आ दरश दिखा दे गुरुदेव,
तुझे तेरे लाल बुलाते है,
तुझे रो रो पुकारे मेरे नैन,
तुझे रो रो पुकारे मेरे नैन,
तुझे तेरे लाल बुलाते है,
आ दर्श दिखा दे गुरुदेव,
तुझे तेरे लाल बुलाते है।।
Bahut Sundar Aisi bhajan bhejiye
यह भजन संत श्री आशारामजी बापूजी के आश्रम के एक संचालक रहे साधक मिश्रा जी ने लिखा था ऐसे कई भजन उन्होंने लिखे है।
मिश्रा जी अभी हमारे बीच नहीं हैं।पर उनका भाव इन भजनों द्वारा हम सबके बीच अभी भी मौजूद हैं।
Jai Guru Dev