जबसे मिली शरण,
की मेरे दिन बदल गए,
ऐसी लगी लगन,
की मेरे दिन बदल गए।।
तर्ज – उनसे मिली नजर।
खाटू गया मैं पहली बार,
मन को लुभाया ये दरबार,
हुक सी दिल में उठने लगी,
श्याम से हो गया मुझको प्यार,
झुक कर किया नमन,
की मेरे दिन बदल गए,
जब से मिली शरण,
की मेरे दिन बदल गए।।
श्याम ने सर पर हाथ धरा,
बोझ मेरे सिर का उतरा,
किरपा श्याम ने बरसाई,
बाग हो गया हरा भरा,
महका मेरा चमन,
की मेरे दिन बदल गए,
जब से मिली शरण,
की मेरे दिन बदल गए।।
अब जीवन में मस्ती हैं,
मेरी सुखी गृहस्थी है,
जो आनंद में लेती हूँ,
दुनिया उसे तरसती है,
रहती हूँ मैं मगन,
की मेरे दिन बदल गए,
जब से मिली शरण,
की मेरे दिन बदल गए।।
श्याम के दर पे जाता हूँ,
कुछ लेकर ही आता हूँ,
‘बिन्नू’ कहता इसीलिए,
श्याम तराने गाता हूँ,
करता हूँ मैं भजन,
की मेरे दिन बदल गए,
जब से मिली शरण,
की मेरे दिन बदल गए।।
जबसे मिली शरण,
की मेरे दिन बदल गए,
ऐसी लगी लगन,
की मेरे दिन बदल गए।।
स्वर – गिन्नी कौर।
Aanad hi aagaya g