चरणों में रहने दो,
करता हूँ अरदास,
दूर से मन में,
लाया यही आस,
चरणों में रहने दो।।
तर्ज – अँखियो को रहने दो।
ग़म का सताया हूँ मै,
जग का हूँ मारा,
करके दया बाबा,
दे दो सहारा,
तारो या मारो बाबा-२,
अब है तेरे हाथ,
दूर से मन में,
लाया यही आस,
चरणों में रहने दो।।
राह निहारे तेरी,
नयना यह मेरे,
तरस रहे है बाबा,
दरश को तेरे,
आकर बुझा दो मेरे-२,
नैनो की आज प्यास,
दूर से मन में,
लाया यही आस,
चरणों में रहने दो।।
तुम हो दयालू बड़े,
कहती ये दुनिया,
मेरे शिर्डी वाले मुझमे,
बहुत है कमियाँ,
कमियो अपनी बाबा-२,
आए मुझे लाज,
दूर से मन में,
लाया यही आस,
चरणों में रहने दो।।
चरणों में रहने दो,
करता हूँ अरदास,
दूर से मन में,
लाया यही आस,
चरणों में रहने दो।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
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