मेरे मन तुम यह मत भूलो,
हमे एक रोज जाना है,
नही सुमिरन किया हरि का,
तो चौरासी ही पाना है।।
तर्ज – सजन रे झूठ मत बोलो।
सुमर हर स्वाँस मे हरि को,
सदा रख ध्यान मे हरि को,
नही कुछ करना है तुझको,
करेगे पार गुरू तुझको,
नही उसको भुलाना रे,
मेरे मन तुम यह मत भूलों,
हमे एक रोज जाना है।।
झुका कर देख तो नजरे,
मिले प्रीतम तुझे घर मे,
जिसे तू ढूँढे है बाहर,
वो बैठा है तेरे घर मे,
यही सँतो का कहना है,
मेरे मन तुम यह मत भूलों,
हमे एक रोज जाना है।।
करो सब काम तुम घर के,
रहे मन ध्यान मे गुरू के,
तजो अभिमान सब जग के,
करो अर्जी यही गुरू से,
नही कुछ और पाना है,
मेरे मन तुम यह मत भूलों,
हमे एक रोज जाना है।।
मेरे मन तुम यह मत भूलो,
हमे एक रोज जाना है,
नही सुमिरन किया हरि का,
तो चौरासी ही पाना है।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
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