साँवरे की सेवा में जो भी रम जाते है भजन लिरिक्स

साँवरे की सेवा में,
जो भी रम जाते है,
बाबा ही संभाले उन्हें,
वो फिर दुःख ना पाते है,
साँवरे की सेवा में।।

तर्ज – आदमी मुसाफिर है।



जीवन में होते इतने झमेले,

इक दिन तो इंसा जाता अकेले,
बिता समय तो पछताते है,
साँवरे की सेवा में।।



अपना सगा हमने जिसको माना,

मुश्किल पड़ी तो निकला बेगाना,
संकट में बाबा ही काम आते है,
साँवरे की सेवा में।।



वक़्त सभी का बनता बिगड़ता,

समझे नजाकत वो है संभलता,
गीता में भगवन समझाते है,
साँवरे की सेवा में।।



मन और वचन कर्म हो ठीक तेरा,

‘चोखानी’ तो फिर कटता है फेरा,
सत कर्म ही ‘गिन्नी’ रह जाते है,
साँवरे की सेवा में।।



साँवरे की सेवा में,

जो भी रम जाते है,
बाबा ही संभाले उन्हें,
वो फिर दुःख ना पाते है,
साँवरे की सेवा में।।

Singer : Ginny Kaur


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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