बँदगी दुख तमाम हरती है भजन लिरिक्स

बँदगी दुख तमाम हरती है,
ओषधी का काम,
ओषधी का काम करती है,
बँदगी दुख तमाम हरती है।।

तर्ज – ज़िन्दगी इम्तहान लेती है।



पीले इसे जो कोई नियम से,

जीवन मे रहे जो सँयम से,
कि जीवन मे रहे जो सदा सँयम से,
उन पर ये बहुत काम करती है,
बँदगी दुख तमाम हरती है।।



ले ले दवा तू ओ मन प्यारे,

आजा रे आजा अब तो प्रभू के द्वारे,
कि आजा रे आजा प्रभू के द्वारे,
सुबहोशाम आठो याम बँटती है,
बँदगी दुख तमाम हरती है।।



बाँटे गुरू मेरा दिन और रैना,

लेलो रे आकर जिस को भी है लेना,
कि लेलो रे आकर जिसको है लेना,
खर्चे सेभी नही ये घटती है,
बँदगी दुख तमाम हरती है।।



बँदगी दुख तमाम हरती है,

ओषधी का काम,
ओषधी का काम करती है,
बँदगी दुख तमाम हरती है।।

– भजन लेखक एवं प्रेषक –
शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923

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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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