ओ बेटा शरवण पाणीड़ो पिलाय वन में बेटा प्यास लगी

ओ बेटा शरवण पाणीड़ो पिलाय,
वन में बेटा प्यास लगी।

दोहा – बेटा तो आगे भया,
कलयुग बीच अनेक,
श्रवण सा संसार में हुआ ना हो सी एक।
संसार सागर हे अगर,
माता पिता एक नाव हे,
जिसने दुखाई आत्मा,
वो डुबता मजधार हे,
जीसने भी की तन से सेवा,
उसका तो बेडा पार हे,
माता पिता परमात्मा,
मिलता न दूजी बार हे।

ओ बेटा शरवण पाणीड़ो पिलाय,
वन में बेटा प्यास लगी,
ओ बेटा श्रवण पाणीड़ो पिलाय,
वन में बेटा प्यास लगी।।



(१)आला लीला बांस कटाया,

कावडली बनाई,
मात पिता ने माय बिठाया,
तिरत करवाने जाइ,
वन में बेटा प्यास,
वन में बेटा प्यास लगी,
बेटा शरवण पाणीड़ो पिलाय,
वन में बेटा प्यास लगी।।



(तो शरवन कुमार रा माता_पिता अँधा हा,

और अपने अंधे माता पिता को तीर्थ कराने,
वाते कावड़ बनाई,
कावड़ रे दोनों पडलो में माता पिता ने बैठाय,
अपने कंदे पर उठाय तीर्थ करने वाते निकल पड़या,
चलता चलता अयोध्या पहुच्या,
और अयोध्या में सरयु नदी के पास में जंगल में,
एक पेड़ रे नीचे विश्राम कियो,
माँ बोली बेटा कंठ बहुत सुख रिया हे,
पानी पीलादे,,
अब देखो शरवन कुमार,
लोटो ले पानी की तलाश में निकल पड्यो,
लेकिन पानी नहीं मिल्यो।,क्या कहा)

(२) ना कोई हे कुआ बावड़ी,
ना कोई समन्द तळाव,
तब शरवण ने मन में सोची,
कियां जल पाऊ मारी माय,
वन में बेटा प्यास लगी,
बेटा शरवण पाणीड़ो पिलाय,
वन में बेटा प्यास लगी।।



(पाणी नी मिल्यो,

बोले ऊँचा नीचा कदम रे ऊपर बगुला उड़ उड़ जाये,
तब शरवण ने मन में सोची,
अब जल पाऊ मारी माई और कहा)

(३)ले जारी अब शरवण चाल्यो,
आयो शरवर रे पास,
जाइ नीर जकोरियो ने,
दशरथ मारयो शक्ति बाण,
वन में बेटा प्यास लगी,
बेटा शरवण पाणीड़ो पिलाय,
वन में बेटा प्यास लगी।।



(राजा दशरथ बाण चला दियो,

और बाण शरवण कुमार रे कळेजे ने,
चिरतो हुओं पार वेग्यो,
एक चीख की आवाज हुई,
पक्षी उड़ ग्या और मनुष्य की आवाज सुन,
राजा दशरथ के पैरों से जमीन खिसक गयी,
भागता हुआ पास में ग्या,
और खुद रो भानजों मोत और जिंदगी रे बिच जुल रियो हे,,
शरवण कुमार मरतो मरतो,
मामा सु वचन ले लियो,
बोल्यो मामा मारा माता पिता अँधा हे,
में तो इन दुनिया ने छोड़ ने जा रियो हु,
और मारा माता पिता ने,
जल पीला दीजो अतरो केता ही,
श्रवण कुमार रो हंसो उड़ गयो।
राजा दशरथ पानी रो लोटो ळे कावड़ रे पास पहुच्यो,
माँ देख्यो शरवन आयो हे,
पूछ लियो बेटा शरवन,,
दशरत नी बोल्या,
माँ बोली तू शरवन तो नी लागे,
तू कोई और ही हे और केवे.।)

(३)ना शरवण की बोली कहिजे,
ना शरवन की चाल,
मात पिता तो सुरग सीधार्या,
दशरथ ने दीदो वटे श्राप,
वन में बेटा प्यास लगी,
बेटा शरवण पाणीड़ो पिलाय,
वन में बेटा प्यास लगी।।



ओ बेटा शरवण पाणीड़ो पिलाय,

वन में बेटा प्यास लगी,
ओ बेटा श्रवण पाणीड़ो पिलाय,
वन में बेटा प्यास लगी।।

गायक – श्री प्रकाश माली।
भजन प्रेषक –
॥कुलदीप मेनारिया आलाखेड़ी॥
।(9799294907)।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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