मैं पतंग हूँ प्यारे,
तेरे हाथ है मेरी डोर,
मैं हूँ तेरी मर्जी पे,
नचाले जिस ओर,
एक चले ना बाबा,
तेरे आगे मेरा जोर,
मैं हूँ तेरी मर्जी पे,
नचाले जिस ओर,
मै पतंग हूँ प्यारे,
तेरे हाथ है मेरी डोर,
मैं हूँ तेरी मर्जी पे,
नचाले जिस ओर।।
तर्ज – सावन का महीना।
तू श्याम बाबा मेरा,
तू ही मेरी मैया,
थाम के कलाई चलना,
धुप हो या छईया,
देख के तुझको सोऊ,
तेरे भजन से जागे भोर,
मैं हूँ तेरी मर्जी पे,
नचाले जिस ओर।
मै पतंग हूँ प्यारे,
तेरे हाथ है मेरी डोर,
मैं हूँ तेरी मर्जी पे,
नचाले जिस ओर।।
जीत भी कबुल मुझे,
हार भी कबुल है,
प्यार तेरे फूलो से भी,
हार भी कबुल है,
जीत के ना इतराऊ,
हारूँ तो करूँ ना शोर,
मैं हूँ तेरी मर्जी पे,
नचाले जिस ओर।
मै पतंग हूँ प्यारे,
तेरे हाथ है मेरी डोर,
मैं हूँ तेरी मर्जी पे,
नचाले जिस ओर।।
करूँ मैं गुलामी तेरी,
यही मेरा ख्वाब है,
अाजमा के देख ये,
गुलाम लाजवाब है,
तू जो कहे तो नाचू,
तेरे आगे बनके मोर,
तेरी ख़ुशी की खातिर,
बन जाऊ माखन चोर।
मै पतंग हूँ बाबा,
तेरे हाथ है मेरी डोर,
मैं हूँ तेरी मर्जी पे,
नचाले जिस ओर।।
मैं पतंग हूँ प्यारे,
तेरे हाथ है मेरी डोर,
मैं हूँ तेरी मर्जी पे,
नचाले जिस ओर,
एक चले ना बाबा,
तेरे आगे मेरा जोर,
मैं हूँ तेरी मर्जी पे,
नचाले जिस ओर,
मै पतंग हूँ प्यारे,
तेरे हाथ है मेरी डोर,
मैं हूँ तेरी मर्जी पे,
नचाले जिस ओर।।
Singer : Sandeep Bansal
Very nice bhajan
इस प्रतिक्रिया के लिए आपका धन्यवाद।
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