दरबार हजारो है,
तुझ सा दरबार कहाँ,
बजरंग सा देव भला,
हमें मिलता और कहाँ,
दरबार हजारो हैं,
तुझ सा दरबार कहाँ।।
तर्ज – ऐ मेरे दिल ए नादाँ।
तेरे हाथ में घोटा है,
और लाल लंगोटा है,
सिंदूरी रूप धरे,
सिंघासन बैठा है,
तेरी महिमा का बाबा,
कोई पावे पार कहाँ,
दरबार हजारो हैं,
तुझ सा दरबार कहाँ।।
तेरी लाल ध्वजा बाला,
लगती बडी प्यारी है,
तिहु लोग में छाई है,
तेरी किरत भारी है,
तुझ सा सच्चा सेवक,
क्या होगा और कहाँ,
दरबार हजारो हैं,
तुझ सा दरबार कहाँ।।
तेरी चोखट पर बैठे,
हम आस लगाये है,
पूरण हो काम सभी,
विश्वास ये लाये है,
भक्तो के काज करे,
ऐसी सरकार कहाँ,
दरबार हजारो हैं,
तुझ सा दरबार कहाँ।।
श्री राम के चरणों का,
सेवक तू निराला है,
बिगड़ी को बनाता है,
दुःख हरने वाला है,
इस युग में होगा मन,
ऐसा अवतार कहाँ,
दरबार हजारो हैं,
तुझ सा दरबार कहाँ।।
दरबार हजारो है,
तुझ सा दरबार कहाँ,
बजरंग सा देव भला,
हमें मिलता और कहाँ,
दरबार हजारो हैं,
तुझ सा दरबार कहाँ।।
Singer : Mukesh Bagda